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राहुल गांधी भारत की चुनावी राजनीति में सफलता के प्रतीक नहीं हैं। उनके पास संसाधन नहीं है। संगठन भी मज़बूत नहीं है। मीडिया उनके आरोपों और भाषणों को जगह नहीं देता है। हर तरफ से जिस नेता को रोकने की कोशिश की जा रही है, वह नेता
यहां-वहां से मुद्दों को उठाता हुआ पब्लिक के बीच आ जाता है। विपक्ष की राजनीति का अपना इतिहास है। कांग्रेस पार्टी का इतिहास आज़ादी की लड़ाई का रहा है मगर विपक्ष में रह कर वैसा नहीं जैसे लोहियावादियों से लेकर समाजवादियों का रहा है। आज़ादी के बाद विपक्ष के रूप में संघर्ष करने का मतलब होता था कांग्रेस के खिलाफ़ संघर्ष। यह शायद पहली बार है जब कांग्रेस विपक्ष के रूप में संघर्ष कर रही है। इस दौर में जब डरना ज़रूरी हो गया है, राहुल ने लड़ने को ज़रूरी बना दिया है।
नोट- आज कल AI के इस्तेमाल से मेरी आवाज़ और तस्वीर का इस्तेमाल कर कई सारे चैनल बना दिए गए हैं। लेकिन इनमें से कोई भी मेरा चैनल नहीं है। प्लीज़ आप सतर्क हो जाएं। मेरे तीन ही चैनल हैं जिनके लिंक यहां दे रहा हूँ।
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