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अप्रेल 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों को लेकर बड़ा फ़ैसला दिया था। कहा था कि राज्य की सरकारों द्वारा भेजे गए बिल पर अनिश्चितकाल के लिए नहीं बैठ सकते हैं। तीन महीने के भीतर उन्हें फ़ैसला लेना होगा। लेकिन क्या आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्र्पति को दी गई राय के बाद उस फैसले की चमक कुछ धीमी होती दिखाई दे रही है? अदालत की यह कैसी राय है जिसे सरकार भी अपने पक्ष का बता रही है और विपक्ष भी? राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों की बहस बहुत लंबी है और जटिल भी। हम इसे समझने की कोशिश कर रहे हैं मगर आपके सामने यह त्वरित टिप्पणी रखना चाहते हैं। अगर हमारे समझने में कोई भूल हुई है तो उसके लिए खेद है।
नोट- आज कल AI के इस्तेमाल से मेरी आवाज़ और तस्वीर का इस्तेमाल कर कई सारे चैनल बना दिए गए हैं। लेकिन इनमें से कोई भी मेरा चैनल नहीं है। प्लीज़ आप सतर्क हो जाएं। मेरे तीन ही चैनल हैं जिनके लिंक यहां दे रहा हूँ।
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